नई दिल्ली, अगस्त 26 -- जोरावर दौलत सिंह,इतिहासकार और रणनीतिकार बीजिंग और नई दिल्ली से मिल रहे संकेत स्पष्ट हैं। साल 2020 में गलवान झड़प के बाद रिश्तों में जो कड़वाहट आई थी, उसे भुलाकर अब दोनों देश नए सिरे से आगे बढ़ने को तैयार दिख रहे हैं। बेशक, अमेरिका की इस पर पैनी नजर है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल अक्तूबर में कजान शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात करके इसका रास्ता काफी हद तक तैयार कर दिया था। संबंधों में गिरावट दरअसल कई ऐतिहासिक कारकों का नतीजा थी। मसलन, अमेरिका-केंद्रित एकध्रुवीय व्यवस्था से बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की ओर बढ़ती वैश्विक सत्ता-संरचना, शक्ति के इस बदलते संतुलन को आकार देने के लिए अमेरिका व यूरेशियाई ताकतों के बीच तेज संघर्ष, और इस भू-राजनीतिक व्यवस्था का भारत-चीन संबंधों पर पड़ने ...