सहरसा, अक्टूबर 31 -- महिषी एक संवाददाता । छठ महापर्व के खरना दिन से ही मिथिलांचल के प्रसिद्ध पारम्परिक लोकपर्व सामा-चकेबा की शुरुआत हो गयी है। यह लोकपर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें बहनें सात दिनों तक रोज सामा-चकेबा, चुगला आदि की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजती हैं। हर दिन पर्व से सम्बन्धित लोक गीत होता है। इसे मिथिलांचल क्षेत्र में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। पर्व के दौरान बहनें अपने भाई के दीर्घ जीवन एवं सम्पन्नता की मंगल कामना करती है। सामा-चकेबा का पर्व पर्यावरण से संबद्ध भी माना जाता है। ग्रामीण पंडितों के अनुसार कार्तिक मास की पंचमी शुक्ल पक्ष तिथि से सामा-चकेबा की शुरुआत हो जाती है। इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। पूर्णिमा के दिन नदियों व खेतों में इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। चर्चाओं के अनुसार...