लखनऊ, अप्रैल 25 -- लाल ईंट की जगह दूसरे विकल्पों पर फोकस करें। फ्लाई एश से निर्मित ईंटें व अन्य निर्माण सामग्री का प्रयोग करें। खासतौर से सभी सरकारी निर्माण संस्थाओं में लाल ईंट के अतिरिक्त फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग पर विशेष प्राथमिकता दी जाये। इससे टॉप स्वाइल के बचाव के साथ ही मिट्टी खनन को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। यह बातें शुक्रवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने बापू भवन में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में दिए। डा. सक्सेना ने कहा कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से निर्माणकारी गतिविधियों में लाल ईंट के प्रयोग के कारण कुछ प्रमुख समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे कि ईंट को बनाये जाने में ईंधन में फॉसिल फ्यूल (कोयले का प्रयोग) होता है। इससे पार्टिकुलेट मैटेरियल, सल्फर आक्सिडेन्ट्स तथा का...