गंगापार, मई 10 -- परंपरागत तकनीक से खेती करना घाटे का सौदा बन गया है। कम लगत के साथ टिकाऊ खेती के लिए नवीन तकनीक किसानों को अपनाना होगा। इस नई तकनीकी में नैनो यूरिया डीएपी स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के अनुकूल है। यह बातें खेवराजपुर गांव के प्रगतिशील किसानों की गोष्ठी को संबोधित करते हुए इफको इकाई प्रमुख संजय कुदेशिया ने बतौर मुख्य अतिथि शनिवार को कही। किसानों को तकनीक की जानकारी देते हुए कॉर्डेट के प्रधानाचार्य डॉ. हरीश चन्द्र ने नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी के उपयोग, इसके प्रभावशील अवयवों तथा पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में उनके वैज्ञानिक लाभ से किसानों को परिचित कराए। प्रगतिशील किसानों को संबोधित करते हुए जनसंपर्क अधिकारी इफको स्वयं प्रकाश ने दानेदार उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी पर होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने...