रामपुर, नवम्बर 2 -- मनरेगा में अब धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं बचेगी। केंद्र सरकार ने इसे पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) तकनीक लागू कर दी है। अब श्रमिकों की पहचान चेहरे (फेस आथेंटिकेशन) और आंखों की रेटिना स्कैनिंग से होगी। मतलब साफ है कि अब ग्रामीण रोजगार से जुड़ी इस योजना में किसी की जगह किसी और की फोटो लगा कर हाजिरी या भुगतान लेना नामुमकिन होगा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जिले में 2.22 लाख सक्रिय श्रमिक पंजीकृत हैं। सरकार इन सभी श्रमिकों का ई-केवाईसी (इलेक्ट्रानिक पहचान सत्यापन) करवा रही है, जिसमें आधार कार्ड, चेहरे की बनावट और आंखों की रेटिना की पहचान एआई के माध्यम से की जाएगी। ई-केवाईसी होने के बाद ही मजदूरों को काम दिया जाएगा, इसके बाद भुगतान की प्रक्रिया को...