वाराणसी, अगस्त 13 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। पुत्र की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना से महिलाओं ने मंगलवार को गणेश संकष्ठी चतुर्थी का निराजल व्रत रखा। बादलों के पीछे से चंद्रदेव लुकाछिपी खेलते रहे। रात्रि 8:42 बजे उदयकाल के बाद छतों से शंखध्वनि गूंज उठी। व्रती महिलाओं ने अपनी लटों पर जल ढार कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया। चंद्रोदय से पूर्व व्रतियों ने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध एवं कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प किया। भगवान श्रीगणेश की पंचोपचार, दशोपचार एवं षोडशोपचार पूजा-अर्चना सामर्थ्य के अनुसार किया। प्रथमेश को दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे अर्पित कर धूप-दीप के साथ अर्चना की। उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश चालीसा ...