गया, मई 10 -- रेशम उत्पादन (सेरीकल्चर) ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक उत्कृष्ट जरिया है। यह न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल सकती है। उक्त बातें शनिवार को मगध विवि में जंतु विज्ञान विभाग के सभागार में सेरीकल्चर: सतत विकास और रोजगार की संभावनाएं" विषय पर आयोजित एक दिवसीय विशेष व्याख्यान में जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग के निदेशक प्रो. दिलीप कुमार केशरी ने कहा। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचारों की मदद से रेशम उत्पादन की गुणवत्ता और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है। मुख्य वक्ता वाराणसी स्थित यूपी कॉलेज की प्रोफेसर प्रो. सुनंदा दुबे ने सेरीकल्चर को सतत विकास एवं रोजगार सृजन का एक शक्तिशाली माध्यम बताते हुए कहा कि रेशम कीटों के पालन के...