वाराणसी, अगस्त 5 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। सात दिवसीय सवा ग्यारह लाख चिंतामणि पार्थिव पूजन महारुद्राभिषेक के छठवें दिन मंगलपीठाधीश्वर माधवाचार्य ने कहा कि ओम अक्षर के समान शिव को भी निराकार देवता माना जाता है। वे समस्त ज्ञान के प्रतीक और स्वयंभू हैं। काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। जो भी व्यक्ति यहां मृत्यु को प्राप्त होता है उसे मोक्ष मिलता है। अस्सी स्थित रामजानकी मठ में सवा ग्यारह लाख चिंतामणि पार्थिव पूजन महारुद्राभिषेक के क्रम में मंगलवार को सवा लाख से ज्यादा पार्थिव शिवलिंगों के महारुद्राभिषेक अनुष्ठान अवसर पर उन्होंने यह बातें कहीं। यह अनुष्ठान मंगलपीठाधीश्वर की अध्यक्षता और महंत रामलोचन दास के मार्गदर्शन में हो रहा है। वैदिक ब्राह्मणों ने वेद मंत्रोच्चार के साथ गणेश, भगवान सीताराम और पंजाबी महाराज का पूजन कर अनुष्ठान...
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