भागलपुर, नवम्बर 24 -- अगर आप घंटों मोबाइल चलाते रहते हैं और रील्स देखते हुए लगातार स्क्रॉलिंग की आदत है और बार-बार एप्स बदलकर देखते रहते हैं तो ये आपकी सेहत के लिहाज से खतरे की घंटी है। मोबाइल पर घंटों गुजारने वाले युवा पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर एंड हेड डॉ. कुमार गौरव बताते हैं कि इन दिनों ओपीडी में पॉपकॉर्न मोबाइल सिंड्रोम के मरीज मिल रहे हैं। इस साल जनवरी 2025 से लेकर अबतक (अक्तूबर 2025 तक) पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम के 113 मरीज इलाज के लिए आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर युवा होते हैं, जिनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच होती है। ऐसे मरीजों में पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम के लक्षण मिले तो सबसे पहले उन्हें डिजिटल उपवास यानी मोबाइल पर कम-से-कम वक्त गुजारने और सप्ताह में दो दिन...
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