वाराणसी, नवम्बर 26 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। रामराज्य की परिकल्पना तभी सार्थक होगी जब प्रभु श्रीराम और भगवान परशुराम का मिलन होगा। ब्राह्मण में सदैव भक्ति का वास होना चाहिए और राजर्षि में पुण्य का वास होना चाहिए। यह कहना है प्रख्यात कथा मर्मज्ञ डॉ. भारत भूषण पांडेय का। वह श्रीराम विवाह पंचमी महोत्सव पर संकटमोचन मंदिर में चल रहे श्रीराम चरित मानस व्यास सम्मेलन के दूसरे दिन बुधवार को प्रवचन कर रहे थे। आचार्य परमेश्वर दत्त शुक्ल ने कहा कि यदि जीवन संवारना है तो अपने अंदर के अहंकार रूपी धनुष को तोड़ना ही होगा। प्रभु ने सीता स्वयंवर में सिर्फ धनुष नही बल्कि परशुराम के घमंड को भी तोड़ा। इसके पूर्व श्याम नारायण तिवारी ने कहा कि कथा मनोरंजन नहीं आत्मरंजन का साधन है। कथा इस भवसागर से पार लगाने वाली दृढ़ नौका है। पं. रामेश्वर त्रिपाठी ने राम नाम की...