बरेली, अप्रैल 27 -- त्रिवटीनाथ मंदिर प्रांगण में हो रही श्रीरामचरित मानस कथा के चतुर्थ दिवस पर व्यास पंडित उमाशंकर ने श्रोताओं को बताया कि श्रीरामचरित मानस में दो बातें राम का रामत्व, रावण का रावणत्व मुख्य है। बताया कि श्रीराम के रामत्व से पशुता भी मानवता में बदल सकती है। वहीं रावण के रावणत्व से वह रावण जो कि उच्च ब्राह्मण कुल और महादेव का उपासक था लेकिन वह पतन के मार्ग पर चला जाता है। रावण के मार्ग पर चलने वाले उच्च ब्राह्मण कुल को असुरी और निश्चर कुल में परिवर्तित कर देता है। कहा कि वास्तव में श्रीराम और महादेव एक ही हैं और एक दूसरे के पूरक हैं परंतु एक दूसरे को अपने से अधिक महत्व दिया करते हैं। इस दौरान मंदिर कमेटी के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल, सुभाष मेहरा, हरिओम अग्रवाल आदि रहे।

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