नई दिल्ली, नवम्बर 25 -- फैजान मुस्तफा,कुलपति, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय राष्ट्रपति के सवालों के संदर्भ में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राज्यपाल की सांविधानिक शक्तियों की जो व्याख्या की है, वह काफी दूरगामी असर वाली है। ये शक्तियां विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों के संबंध में हैं। वास्तव में, राज्य सरकार जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्यपाल के पास (जो जनता द्वारा निर्वाचित नहीं है) राज्य विधानसभा की इच्छा को नकारने की ताकत नहीं हो सकती। होनी भी नहीं चाहिए। मगर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अनुच्छेद 200 में उल्लिखित 'यथाशीघ्र' शब्द का उपयोग किसी समय-सीमा को निर्धारित करने में नहीं किया जा सकता। हालांकि, असाधारण परिस्थितियों के लिए वह कुछ अपवाद बना सकती थी। इतिहास बताता है कि राज...
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