बहराइच, सितम्बर 27 -- बाबागंज। नवरात्र के पांचवें दिन नव दुर्गा पूजा समिति शंकरपुर के पंडाल में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र नाटक का कलाकारों के ओर से भाव प्रण मंचन किया गया। राजा हरिश्चंद्र से गुरु विश्वामित्र कहते हैं कि मालूम हुआ तू दानी नहीं घमंडी है,जब कुंजी लगाम दे दी सारी है,तो यह सल्तनत सब हो चुकी हमारी है। इसके बाद राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी तारामती और पुत्र रोहित के साथ जंगल में चले जाते हैं। रोहित को जंगल में सर्प डस लेता है और रोहित की मृत्यु हो जाती है।अंतिम संस्कार के लिए घाट पर हरिश्चंद्र उनसे शव दफनाने का कर मांगते हैं। तारामती और हरिश्चंद्र के सत्यवादिता से खुश होकर विश्वामित्र रोहित को जीवित कर देते हैं।

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