प्रयागराज, फरवरी 25 -- महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। वहीं संगम की रेती पर विविध प्रांतों की लोक संस्कृति, परंपरा और हुनर दिख रहा है। सबसे बड़ी विविधता राजस्थान से आने वाले श्रद्धालुओं में है। सरपंच शिव राज सिंह तोमर के साथ 70 श्रद्धालुओं का जत्था महाकुम्भ स्नान के लिए आया। इस जत्थे में शामिल सावित्री के दोनों हाथ में झोला था वहीं सिर पर एक लीटर के बोतल में गंगाजल रखकर चल रहीं थीं। सावित्री का संतुलन इतना गजब था कि भीड़ में भी उनके सिर से बोतल नहीं गिरता था। उन्होंने बताया कि गांव से काफी दूर जाकर रोज पानी लाना पड़ता है। इससिए सिर पर बोतल व घड़ा रखकर चलने की बचपन से आदत है। अभ्यास के कारण संतुलन बनने के साथ हाथ भी खाली रहता है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट स...