नई दिल्ली, जुलाई 31 -- तुमने दो लोगों की बातचीत में 'रहम' शब्द का उपयोग प्राय: सुना होगा। पर क्या कभी इसकी प्रकृति पर तुमने गौर किया है? रहम अपनत्व के अभाव को इंगित करता है- एक दूरी, अपनेपन का अभाव। अपने करीबियों और प्रिय जनों पर तुम रहम नहीं करते। तुम माता-पिता को यह कहते हुए नहीं सुनते कि हम अपने बच्चों पर रहम करते हैं। तुम केवल उन लोगों पर, उन जीवों पर रहम करते हो, जिन्हें अपना नहीं समझते। रहम क्रोध, निर्णय और अधिकार की संभावना इंगित करता है। जब तुम रहम मांगते हो, तब तुम स्वार्थी हो, क्योंकि तब विधि के विधान से तुम बचना चाहते हो। यह साहस और वीरता के अभाव को दर्शाता है। कभी-कभी यह आध्यात्मिक विकास में बाधक होता है। हां, रहम कुछ तसल्ली और आराम तो लाता है, परंतु रूपांतरण को, विकास की गति को यह धीमा कर देता है। यदि पत्ते वृक्ष से न गिरने क...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.