जमुई, मार्च 10 -- जमुई। रोजा' रोशनी की लकीर और नेकी की नजीर (मिसाल) है। रमजान का तो हर रोजा खुशहाली का खजाना और पाकीजगी का पैमाना है। रमजान की बरकतों की तहरीर का ये कारवां माशाअल्लाह आठवें रोजे तक पहुंच गया है। दरअसल, रोजा अल्लाह का अदब भी है और फ़जल की तलब भी है। सबूत के तौर पर इस बात को कुरआने-पाक की आयत के हवाले से बेहतरीन और आसान तरीके से समझा जा सकता है। पवित्र कुरआन की सूरह अलहश्र की आयत नंबर 18 (अठारह) में बयान है-'और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है उक्त बातें मौलाना शमशीर रजा ने कही। उन्होंने बताया कि इस आयत की रोशनी में ये बात नुमाया (स्पष्ट) हो जाती है कि अल्लाह वसीअ (सर्वव्याप्त) है और अजीम (महान) और अलीम (जानकार) है। बंदे (भक्त) को यह सोचकर कि अल्लाह की नजर उसके हर काम (कार्य) पर है, अल्लाह से डरना चाहिए...
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