सुल्तानपुर, मार्च 17 -- सुलतानपुर, संवाददाता रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। रमजान में पवित्र आसमानी किताब कुरआन अवतरित हुई है। रमजान में रोजा रखना इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। हर तंदुरुस्त बालिग मर्द और औरत पर रोजा रखना फर्ज है। जो किसी मजबूरी से रोजा नहीं रख सकता है। गंभीर बीमारी, सफर या किसी वजह से जैसे एक रोजा किसी कारण से छूट गया तो उस व्यक्ति को चाहिए उस रोजे का फिदया (प्रतिदान)अदा करे। जितना रोजा छोड़े उसी हिसाब से वर्तमान समय में एक भूखे को दो वक्त के खाने की जो कीमत हो उस रकम को किसी जरूरतमंद को अदा करे, तब गुनाह से बचेंगे। औरतों को माहवारी और प्रसूति के समय रोजा में छूट है, लेकिन इससे निकलने के बाद छूटे हुए रोजे को पूरा कर लें। रमजान महीने में सुबह सादिक के वक्त से सूरज डूबने तक मुसलमान हर जायज जरूरतों से रुक जा...