संभल, मार्च 13 -- मौलाना सफी असगर नजमी ने रमजान के मुबारक महीने की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह एक ऐसा खास महीना है, जिसमें अल्लाह अपने तमाम बंदों पर रहमत बरसाता है। यह वह वक्त है जब इंसान अपने गुनाहों की माफी मांग सकता है और अल्लाह तआला की इबादत से अपनी जिंदगी को नेक राह पर ला सकता है। मौलाना ने बताया कि रमजान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, सब्र और दूसरों की मदद का महीना है। अमीर-गरीब, बड़े-छोटे, हर मुसलमान पर रोजे फर्ज किए गए हैं। यदि कोई सेहतमंद व्यक्ति जानबूझकर रोजा छोड़ता है, तो उसे एक रोजे के बदले 60 रोजे रखने होंगे या 60 लोगों को खाना खिलाना होगा। मौलाना नजमी ने कहा कि रोजे के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में गुजारना चाहिए। कुरान की तिलावत करना, उसके मतलब को समझना और उसे अपनी जिंदगी में उतारन...
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