संभल, मार्च 12 -- क्षेत्र के मोहल्ला शर्की सादात के मौलाना मीसम अब्बास ने कहा कि इस्लाम धर्म के मुताबिक माहे रमजान को बरकत, रहमत और मगफिरत का महीना माना जाता है। यह महीना अन्य महीनों से अलग विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में रमजान के दौरान बड़ों का सम्मान करने, बच्चों पर रहम करने, विधवाओं की सहायता करने और गरीब, कमजोर व अनाथों का ख्याल रखने पर विशेष जोर दिया गया है। माहे रमजान इंसान की निजी और सामाजिक तरबियत का महीना है। इस्लाम धर्म में रोजे का अर्थ केवल भूखा-प्यासा रहना नहीं है, बल्कि अपनी जुबान, आंखें, कान, नाक और हाथों सहित पूरे शरीर को गलत कार्यों से रोकने का नाम रोजा है। रोजेदार प्रतिदिन 14 घंटे तक 30 दिन इसी संयम का पालन करता है। इस पाक महीने में इस्लाम धर्म की कई महत्वपूर्ण हस्तियों का विशेष संबंध है। हजरत खदीजा, ...