वाराणसी, अक्टूबर 4 -- वाराणसी, अरविन्द मिश्र। आकाश से मूसलधार और आस्था का आनंद अपार। नाटीइमली के भरतमिलाप में दोनों साथ बरसे। चित्रकूट की रामलीला के 482 साल के इतिहास में भरतमिलाप की 483वीं लीला, पहली ऐसी लीला रही जब देवराज इंद्र ने चारों भाइयों का ऐसा अद्भुत अभिषेक किया। शुक्रवार की शाम हजारों आस्थावान सनातनी रघुनंदन के प्रथम 'आकाशीय अभिनंदन के साक्षी बने। पुराने से पुराने लीलानेमी को यही याद है कि मौसम कितना भी खराब रहा हो मिलन से कुछ मिनट पहले वर्षा थम ही जाती थी। इस बार लगातार वर्षा से दिन में 3 बजे तक भरतमिलाप मैदान सूना रहा। यह दृश्य नेमियों की चिंता बढ़ा रहा था। चंद पलों भर में माहौल बदलने लगा। जैसे ही अयोध्या के लिए निकले भक्त हनुमान ने मैदान में कदम रखा, दो परिवर्तन हुए। आकाश से पुन: वर्षा ने प्रवेश किया तो पूर्वी द्वार से छाता ल...