नई दिल्ली, जुलाई 5 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की दो सौ से अधिक याचिकाएं खारिज कर दी। इन याचिकाओं में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी गई थी। इन आदेशों में कई रक्षा कर्मियों को उनकी संबंधित दिव्यांगताओं के लिए दिव्यांगता पेंशन का हकदार माना गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि रक्षा कर्मियों को केवल इस आधार पर दिव्यांगता पेंशन से वंचित नहीं कर सकते कि दिव्यांगता की शुरुआत तब हुई जब वे स्टेशन पर तैनात थे या यह तर्क देकर कि यह एक जीवनशैली संबंधी बीमारी है। पीठ ने कहा कि सैन्य सेवा कई कारकों के संयोजन के कारण स्वाभाविक रूप से तनावपूर्ण होती है। दिव्यांगता पेंशन उदारता नहीं, उचित स्वीकृति है न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति शैलेन्द्र कौर की पीठ ने कहा कि दिव्यांगता पेंशन देना उदारता का कार्य नहीं है, बल्कि रक्षा कर्मियों द्वारा ...