संभल, मार्च 12 -- पंडित उमाकांत शर्मा ने बताया कि होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जिसमें अग्नि के चारों ओर परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। दूसरे दिन को दुल्हंदी कहा जाता है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर रंग, गुलाल और अबीर डालते हैं। ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते हैं और लोग घर-घर जाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। होली के दिन लोग आपसी कटुता को भूलकर गले मिलते हैं और दोस्ती का नया रिश्ता कायम करते हैं। रंग खेलने के बाद लोग स्नान करके विश्राम करते हैं, फिर नए वस्त्र पहनकर शाम को एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां खिलाते हैं। यह पर्व राग...