नई दिल्ली, नवम्बर 20 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग से शादी करने वाले युवक के खिलाफ पॉक्सो और बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत दर्ज मामला रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून नाबालिग के साथ यौन संबंध को अपराध मानता है और न्यायालय इसमें कोई अपवाद नहीं बना सकता। पीड़िता ने भी पति और ससुराल वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहने की बात कही, लेकिन अदालत ने वर्ष 2023 की प्राथमिकी रद्द करने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि ऐसा करने से यह गलत संदेश जाएगा कि बाल विवाह या नाबालिग के साथ यौन शोषण को शादी के जरिए वैध बनाया जा सकता है।

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