मेरठ, जून 4 -- मेरठ। नित्य शब्द योग की उस अनुशासित परंपरा को दर्शाता है जहां प्रतिदिन शरीर, मन और आत्मा का संयम और सामंजस्य साधा जाता है। नित्य योग के अभ्यास से विकारों से मुक्त होकर आत्मिक शुद्धि की ओर बढ़ते हैं। जब अभ्यास कभी-कभी न होकर नित्य हो तो मन चंचलता छोड़कर स्थिर होने लगता है और शरीर आरोग्य हो जाता है। योग हर दिन जीवन को ध्यानपूर्वक जीने की प्रेरणा है। जब योग नित्य होता है तो वह अभ्यास नहीं रह जाता बल्कि संस्कार बन जाता है। सीसीएसयू कैंपस के योग विज्ञान विभाग में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के क्रम में जारी योग जागरुकता कार्यक्रम में मंगलवार को उक्त बातें योगाचार्य अमरपाल ने कही। योग पार्क में शहर के नागरिकों ने योगाभ्यास किया। प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे तक चलने वाले नित्य योग में विभिन्न अभ्यास कराए गए। योगाचार्य ने वैदिक मंत्रों क...