वाराणसी, जून 22 -- वाराणसी, हिटी। काशी के अर्धचंद्राकार घाट। उन्हें छूकर निर्विकार भाव से प्रवाहमान गंगा की निर्मल धार। ऐतिहासिक घाटों की सीढ़ियों पर उमड़े लोग। सब कतारबद्ध अपने स्थान पर। रह-रहकर हवा के झोंके छू जाते। पहले गंगाजल को फिर उपस्थित लोगों को। लेकिन सभी कटिबद्ध भारत की थाती को न केवल संभालने बल्कि विश्व में उसका दबदबा बनाने के लिए। यह नजारा था शनिवार सुबह का। अवसर था विश्व योग दिवस का। सुबह करीब 6 बजे आदियोगी बाबा विश्वनाथ के आंगन में योगासनों की शुरुआत हुई तो फिर घाटों तक पहुंचते देर न लगी। अस्सी से नमो घाट तक लगभग सभी स्थानों पर लोग जुटे थे। जात-पात, लिंग, आयु का कोई भेद नहीं। हर घाट पर आयोजनकर्ता अलग तो प्रशिक्षक भी अलग। प्रशिक्षक के निर्देश पर सब एक साथ उठते-बैठते, घूमते और अंगों को आसनों के अनुरूप संचालित करते। आकाश में भग...