सीतापुर। राजीव गुप्ता, अप्रैल 29 -- नैमिषारण्य का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है। इस पौराणिक स्थल का वर्णन हिन्दू धर्म के समस्त वेदों, पुराणों, महाभारत सहित अन्य धर्मग्रंथों में भी है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में लिखा है, तीरथ वर नैमिष विख्याता। अति पुनीत साधक सिधि दाता। इसी नैमिषारण्य की पवित्र भूमि के टीले पर हनुमानगढ़ी मंदिर स्थित है। यह टीला इस प्राचीनतम मंदिर की भव्यता को बढ़ाने का काम करता है। यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है। इनका दर्शन-पूजन करने से श्रद्धालुओं को शनि,राहु और केतु ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है, और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पर पूरे वर्ष भर मंत्रियों, राजनेताओं, प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकारियों, साधु-संतों के साथ ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हनुमान ...