मुजफ्फरपुर, मार्च 8 -- मुजफ्फरपुर, अनामिका। अब कईसे रंग उड़ाईं, महंगाई डायन खा गयो हमरी कमाई...। आइल बसंत कंत बाड़े परदेश में, आंखि के लोर सुख गइन उनका उदेश में...। चैती से लेकर होली गाती यह बहू-बेटियों की टोली है। यहां महिलाएं फागुन-चैती गाती ही नहीं हैं, बल्कि महिला सशक्तीकरण की जमीनी तस्वीर दिखाती हैं कि चाहे बात परम्परा को सहेजने की हो या लीक से हटकर कार्य क्षेत्र में काम करने की। ये महिलाएं हर जगह अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। मुजफ्फरपुर में फागुन-चैती गायन करने वाली महिलाओं की पहली टोली बनी है। 50 साल से अधिक से नाटक-गायन से जुड़े रामनारायण और उनकी पत्नी आशा देवी की यह पहल है। साहेबगंज के गांवों की बेटियों-बहुओं की टोली सालभर में तैयार हुई है। अब ये टोली गांव-गांव जाकर प्रस्तुति भी दे रही हैं। अपनी परम्परा के साथ मर्यादा को स...