बागपत, सितम्बर 11 -- यमुना का जलस्तर तो पहले से काफी कम हो चुका है, लेकिन अभी तक किसानों की परेशानी कम नहीं हुई है। यमुना से बर्बाद हुए किसानों की फसलों, जमीन का सर्वे अभी जारी है, लेकिन अभी भी किसान आर्थिक मदद को तरस रहे हैं। उधर, हथनीकुंड बैराज से फिर पानी छोड़े जाने के बाद से किसान डरे हुए हैं क्योंकि फसलों व जमीन का कटान अभी भी जारी हैं। दरअसल, इस साल यमुना के जलस्तर ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को ध्वस्त किया। जलस्तर इतना अधिक बढ़ा कि यमुना किनारे के तटबंद टूट गए, बह गए या अस्थिर हो गए। सैंकड़ों बीघा खेत-खलियान यमुना की तेज धार में बह गए। फसलों के साथ-साथ किसानों की उपजाऊ जमीन तक यमुना में बह गई। किसानों के अलावा उनके पशुओं के चारे तक के लाले पड़ रहे हैं। शबगा, काकौर, छपरौली, बदरखा, टांडा, जागोस, कोताना के किसानों को सबसे अधिक नुकसान हुआ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.