कानपुर, मार्च 25 -- कानपुर। वृन्दावन से आए डॉ. संजय कृष्ण सलिल ने अमृतमयी श्रीमद भागवत कथा में कहा कि मानव देह चौरासी लाख योनियों के बाद प्राप्त होती है। हमें इसे प्राप्त करके प्रभु को प्रत्येक क्षण स्मरण करते रहना चाहिए। यह शरीर खाने-पीने के लिए नहीं मिला है। यह सब क्रिया तो पशुओं में भी होती है परन्तु उनमें विवेक नहीं होता। जन्म लेने का लाभ यही है कि अन्त में नारायण की स्मृति बनी रहे। यह लाभ जीवन में अभ्यास से होता है। हमें मृत्यु को याद करते रहना चाहिए। जब तक हम अपने खान-पान एवं व्यवहार पर ध्यान नहीं देंगे तब तक हृदय शुद्ध नहीं होगा। यहां तक कि जहां हृदय शुद्ध होता है, वहीं पर प्रभु कृपा करते हैं। यहां काशीनाथ तुलस्यान, रोहित तुलस्यान, अविनाश खेमका, आनन्द तुलस्यान, अनिल अग्रवाल, बाल किशन देवड़ा, अतुल अग्रवाल, वीरेंद्र अग्रवाल, मोनिका त...