सुपौल, मार्च 7 -- वीरपुर, एक संवाददाता। संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने जीवन की सार्थकता को किवदंती एवं कथाओं के सहारे रोचकता के साथ रखी। कहा कि एक अरबपति ने जब पत्रकार को बातचीत के लिए बुलाया तो बातचीत के बीच में ही उनके मुलाजिम ने सूचना दी कि कुछ लोग चंदा के लिए आये हैं। उन्होंने उसी वक्त चेक मंगाई और उस पर अपना अंगूठा लगा दिया। पत्रकार यह देख आश्चर्य चकित हो गया और पूछा कि आप इतने बड़े लोग अंगूठा देते हैं। तब अरबपति ने अपनी कहानी बताई कि में चर्च में काम करता था। चर्च में एक आदेश आया कि जो पढ़े लिखे नहीं हैं वे या तो पढना लिखना सीख लें या नौकरी छोड़ दे। मैंने मुनासिब नौकरी छोड़ना समझा, फिर मैंने अपने लिए काम की तलाश की तो जाना की सभी को अपनी-अपनी जरूरत है। अगर उस जरूरत को पूरा करने में उनको मदद की जाय तो खुशी खुशी कुछ अतिरिक्त राशि अलग से ...