सहरसा, सितम्बर 7 -- सहरसा, हमारे प्रतिनिधि। कहने को तो सदर अस्पताल को सूबे का पहला मॉडल अस्पताल का दर्जा मिला, लेकिन स्थापना काल से ही यहां मरीजों के लिए जरूरी जांच तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालत यह है कि डायरिया, बेहोशी, किडनी और ब्लड शुगर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को इलेक्ट्रोलाइट (सोडियम-पोटेशियम क्लोराइड) टेस्ट कराने के लिए बाहर के निजी जांच घरों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके एवज में मरीजों को 600 से 700 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। डॉक्टरों की मानें तो यह टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे खून में सोडियम, पोटैशियम, क्लोरीन और कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर पता चलता है। यही जांच किडनी रोग, डिहाइड्रेशन, हाइपरकेलेमिया और हाइपोकैलेमिया जैसी जानलेवा स्थितियों की पहचान में मददगार होती है। लेकिन जिला मुख्यालय अस्पताल में यह सु...