नई दिल्ली, सितम्बर 1 -- किसी ने पूछा है कि कोई दिखावटी व्यक्ति गंभीर कैसे बन सकता है? सर्वप्रथम हमें इसके प्रति सजग होना होगा कि हम उथले हैं। उथले होने का मतलब क्या है? मूलतः इसका तात्पर्य दूसरे पर निर्भर होना है। है न? मानसिक रूप से किन्हीं मूल्यों, अनुभवों, स्मृतियों पर निर्भर होना। क्या यही सब उथलेपन के पीछे नहीं हैं? निस्संदेह परावलंबन की प्रक्रिया स्वयं से पलायन की एक विधि है; अपने से बड़े तत्व से ऐसा तादात्म्य, जो मैं हूं, उसका निषेध है। लेकिन जो मैं हूं, उसका निषेध मैं नहीं कर सकता; मुझे उसको समझना होगा, यह नहीं कि मैं ब्रह्मांड, ईश्वर, किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति से अपना तादात्म्य स्थापित करने की कोशिशों में लगा रहूं। इन सबसे एक छिछली विचार-क्रिया उपजती है और वह ऐसी गतिविधि का कारण बनती है, जो खुराफाती होती है। वह खुराफात वैश्विक ...
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