हापुड़, फरवरी 14 -- हापुड़, परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन की व्यवस्था को संभालने में शिक्षामित्र अहम किरदार निभा रहे हैं। 1999 से ये लोग शासन-प्रशासन के दिए हर आदेश का पालन कर रहे हैं। स्कूलों में पढ़ाने के साथ ही चुनाव से जुड़े विभिन्न कार्य भी कर रहे। पल्स पोलियो, बाल गणना, जनगणना, पशु गणना आदि सरकारी अभियानों को सफल बनाने में मेहनत कर रहे। सभी कामों को सफलतापूर्वक करने के बाद भी शिक्षामित्रों की दुश्वारियों का खात्मा नहीं हो रहा है। सात वर्ष से उनका मानदेय बढ़ा नहीं। जो मानदेय है, वो भी समय पर मिलता नहीं। अधिकांश अतिरिक्त कामों का भत्ता उन्हें मिलता नहीं। शिक्षामित्र अपनी दिक्कतें बताते हुए मायूसी के साथ यह सवाल उठाते हैं कि आखिर कब बदलेगी हमारी किस्मत? 1999 में शिक्षामित्र योजना की प्रदेश में शुरूआतच हुई थी। अपनी नियुक्ति से लेकर आज तक शिक...