नई दिल्ली, मई 24 -- सन् 2014 की सर्दियां ढल चुकी थीं और उनके साथ मनमोहन सिंह भी एक दशक पुरानी सत्ता के प्रस्थान बिंदु पर जा खड़े हुए थे। भारतीय जनता पार्टी के 'प्रधानमंत्री उम्मीदवार' नरेंद्र दामोदरदास मोदी किसी तूफान की तरह सत्ता-सदन में बस दाखिल होने को थे। ऐसे में, सौम्य और शालीन मनमोहन सिंह ने अपनी आधिकारिक विदाई से ऐन पहले कुछ चुनिंदा संपादकों को एक सुबह नाश्ते पर बुलाया। सामान्य बातचीत के दौरान सवाल उभरा- आपकी नजर में ऐसे कौन से तीन महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन्हें आप पूरा नहीं कर सके? उन्होंने जो तीन मसले गिनाए, उनमें प्रमुख था- माओवाद! मनमोहन सिंह का मानना था कि तमाम कोशिशों के बावजूद माओवाद पैर पसारता जा रहा है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो माओवादी आज नहीं तो कल, देश को बीच से काटने की शक्ति अर्जित कर लेंगे। वह गलत नहीं थे। महाराष्ट...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.