बदायूं, मार्च 1 -- संस्कार भारती की नगर इकाई द्वारा वृहद काव्य संध्या का आयोजन जीएस हास्पिटल हाल में किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. गीतम सिंह ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत करायी। कवि षट्वदन शंखधार ने सरस्वती वंदना पेश की। गीतकार डॉ. गीतम सिंह ने पढ़ा माटी की सोंदी सी खुशबू मां के आंचल की छांव रे। कवि कामेश पाठक ने पढ़ा खतरों से खेला हूं, मेरा वेग कभी ठहरा नहीं है। पवन शंखधार ने पढ़ा जिसको समझ रहे तुम रुपया पैसा भी हो सकता है। उज्जवल वशिष्ठ ने पढ़ा जो भी मेरे कदम से ऊंचे हो गए। षट्वदन शंखधार ने पढ़ा शब्दों के पर्वत हरगिज न ढहते हैं। राजवीर सिंह तरंग ने पढ़ा घर-घर जाकर राग, सुनाती मोहन टोली। इनके अलावा जयवीर चंद्रवंशी, शैलेंद्र घायल, डॉ. प्रभाकर मिश्र, संजीव अमर ने भी अपनी रचनायें पेश की। उज्जवल वशिष्ठ, ड...