नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- बच्चों के लिए मां जमीन है, तो पिता आसमान। जमीन अगर गोद की तरह सदा बिछी रहती है, तो आसमान छाया देने के लिए अक्सर उमड़ पड़ता है। उस बच्चे के साथ भी ऐसा ही था, मां हमेशा मौजूद थी, पर पिता की नामौजूदगी में आसमान केवल धूप बरसाया करता था। ऐसा नहीं है कि पिता नहीं थे। पिता थे, पर छाया देने वाले आसमान की तरह नहीं थे। वह जब कोयले की खदान से थके-स्याह लौटते, तो उनके प्रति सहानुभूति उमड़ती थी, लेकिन जब वह करीब आते और नशे में बेहोश दिखते थे, तब सारी सहानुभूति बालमन की कोमल हथेलियों से रेत की तरह सरक जाती थी। पिता की आय का बड़ा हिस्सा नशे में बह जाता था। नशे के चंगुल से बचकर जो चंद पाउंड मां की हथेली तक पहुंचते थे, उनसे ब्रेड-बटर का खर्च चलना भी मुश्किल था। पिता को ज्यादा अक्षर ज्ञान नहीं था, पर मां कभी शिक्षिका रही थीं। माताओं...