रांची, नवम्बर 8 -- विक्रम गिरि रांची। झारखंड और पश्चिम बंगाल में महुआ, टीक (सागवान) और नीम जैसे वृक्षों की उत्पादकता व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी (आईएफपी) ने ट्री इंप्रूवमेंट प्रोग्राम शुरू किया है। कम समय में पौधों को परिपक्व बनाकर ग्रामीणों की आजीविका में सुधार लाना और वानिकी क्षेत्र की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना इसका मुख्य उद्देश्य है। आईएफपी के वैज्ञानिकों की टीम इन प्रजातियों के जेनेटिक सुधार और फील्ड ट्रायल पर काम कर रही है। हालांकि टीक व महुआ के पौधों पर ज्यादा ध्यान है। संस्थान ने दोनों प्रदेशों के चयनित स्थलों पर सैंपलिंग पौधों की रोपाई कर प्रयोग शुरू किया है। इनसे प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर पता लगाया जाएगा कि कौनसी प्रजातियां स्थानीय पर्यावरण में तेजी से बढ़ती हैं और बीमारी, जलवायु दबावों को अधिक ...