नई दिल्ली, जुलाई 8 -- बिहार सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में स्थानीय महिलाओं के लिए 35 फीसदी सीटें आरक्षित करने के फैसले के गहरे निहितार्थ हैं। सबसे पहले इस निर्णय के राजनीतिक उद्देश्य को पढ़ा जा रहा है, तो यह स्वाभाविक ही है। बिहार में चार माह के भीतर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और पिछले कई चुनाव इस बात के साक्षी हैं कि बड़ी संख्या में महिला मतदाता वहां अपने मताधिकार का प्रयोग करने लगी हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में तो पुरुषों के मुकाबले 5.24 फीसदी अधिक महिलाओं ने वोट डाले थे। साफ है, सत्ता की चाबी वहां महिलाओं ने अपने हाथों में ले ली है और वे धार्मिक व जातिगत आग्रहों से अधिक लैंगिक हितों से प्रेरित हैं। बिहार उन शुरुआती राज्यों में एक है, जिसने पंचायत और स्थानीय निकायों में आधी आबादी के लिए पचास फीसदी सीटें आरक्षित की हैं। इस कदम...