नई दिल्ली, सितम्बर 9 -- शास्त्रों में श्राद्ध के दो प्रकार बताए गए हैं। एक, जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, हर वर्ष उस तिथि पर किए जानेवाला श्राद्ध 'तिथि'श्राद्ध कहलाता है। दूसरा, प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष में व्यक्ति की मृत्यु तिथि पर किया जानेवाला श्राद्ध 'पर्व' श्राद्ध है। मनुष्य द्वारा पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों को पितृ लोक में अन्न एवं जल से तृप्ति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान किए जानेवाले श्राद्धोंं मेें 'महाभरणी' श्राद्ध विशेष है। यह आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति और उन्हें प्रसन्न करना है, जिससे वे परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। इस श्राद्ध को करने से व्यक्ति को वही फल मिलता है, जो बिहार के बोधगया में पिंडदान करने से मिलता है। सिर्फ इतना ही नहीं, यदि मृत...