प्रयागराज, जनवरी 22 -- महाकुम्भ नगर, संवाददाता। महाकुम्भ नगर के सेक्टर छह स्थित पुरुषार्थ आश्रम शिविर में आयोजित कथा में वाराणसी के आध्यात्मिक संत व कवि ओ द अक् ने बुधवार को पर्यटन और तीर्थाटन के अंतर पर विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ मनोरंजन नहीं, आस्था का मेला है। इसकी महत्ता तीर्थाटन में है न कि पर्यटन में। महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को स्नान-दान के साथ संतों का सम्मान करना चाहिए। संगम रील बनाने के लिए नहीं है। 12 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद यह महाकुम्भ का पावन अवसर आया है। ओम द अक् ने स्वामी राघवाचार्य के मंच पर कहा कि महाकुम्भ आस्था का मेला है। प्रयाग माहात्म्य में भगवत स्मरण व जप-तप का विधान है। संतों के विचारों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। महाकुम्भ में सुविधा खोजने की जरूरत नहीं है। इस मौके पर स्मृति चिह्न भेंटक...