समस्तीपुर, अगस्त 23 -- मोची समाज परंपरागत रूप से जूते-चप्पल बनाने और मरम्मत करने के पेशे से जुड़ा रहा है। पीढ़ियों से यही रोज़ी-रोटी का साधन रहा, लेकिन बदलते समय और औद्योगिक उत्पादन की तेज रफ्तार ने इस पेशे को हाशिए पर पहुंचा दिया है। अब बाजार में सस्ते और मशीन से बने फुटवियर की भरमार है, जिससे मोची की रोज़गार की संभावनाएं कम होती जा रही हैं। सीताराम राम, भाग्यनारायण राम, अनमोल राम, रामकुमार राम, कौशल्या देवी, पिंकी देवी, सुशीला देवी आदि ने बताया कि आज हालात ऐसे हैं कि जिले के गांव-कस्बों के मोची दिनभर बैठने के बाद भी मुश्किल से कुछ ही कमाई कर पाते हैं। पहले जहां समाज में मोची की उपयोगिता अधिक थी, वहीं अब फुटवियर कंपनियों के रेडीमेड जूते-चप्पल ने पारंपरिक कौशल को पीछे धकेल दिया है। मोची समाज की मेहनत और हुनर को वह महत्व नहीं मिल पा रहा है, ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.