नई दिल्ली, अप्रैल 27 -- एक दौर था जब यहां 150 से दुकानों में भट्ठियों पर कारीगर बुरा तैयार करते थे, लेकिन आज वीरानी पसरी है। बदलते समय, घटती बूरे की मांग और चीनी के बढ़ते उपयोग ने इस ऐतिहासिक बाजार को हाशिए पर ला खड़ा कर दिया है। रविवार को शहर के हलवाई खाना में हिन्दुस्तान के अभियान 'बोले हाथरस' के तहत टीम ने हलवाई खाना बाजार का हाल जाना। जहां कभी बूरे की खुशबू कारोबार की पहचान हुआ करती थी। शहर के सबसे पुराने व प्राचीन हलवाई खाना बाजार की पहचान बूरा कारोबार से होती थी। व्यापारी किशनलाल वार्ष्णेय और गिरिराज किशोर गुप्ता ने बताया कि हलवाई खाना बाजार में बनने वाला बूरा हाथरस सहित आसपास के जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाया करता था। लेकिन समय के साथ यह कारोबार धीरे-धीरे खत्म होता गया। आज हालत यह हैं कि हलवाई खाना बाजार से ब...