मुजफ्फरपुर, मार्च 4 -- मुजफ्फरपुर। लाखों की लागत और दिन-रात मवेशियों की देखभाल के बाद भी खटाल संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है। यही वजह है कि शहर में खटालों की संख्या आधी हो गई है। पशुपालकों का कहना है कि इतनी पूंजी और श्रम के बाद भी महीने में बमुश्किल 20 हजार रुपए की बचत हो पाती है। यही पूंजी अगर दूसरे कारोबार में लगाई जाए तो अच्छी आमदनी हो सकती है। इनकी शिकायत है कि पशुपालन विभाग की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। मवेशियों का बीमा, समय पर सरकारी पशु अस्पतालों में इलाज की सुविधा, शेड सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ, बैंकों से अनुदानित या सस्ती दर पर लोन और दूध का सही मूल्य मिले तो हमलोग कारोबार को आगे बढ़ा सकें। शहर में 50 से अधिक खटालों से दूध उत्पादन हो रहा है, मगर महंगाई और संसाधन के अभाव के कारण अधिकतर खटाल संचालक मायूस हैं। उनक...
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