रामकृष्ण परमहंस, जून 3 -- एक किसान ने सारा दिन गन्ने के खेत में पानी सींचने के बाद जाकर देखा कि खेत में बूंद भर भी पानी नहीं पहुंचा है। खेत में कुछ बड़े-बड़े बिल थे और सारा पानी उन बिलों में से होकर दूसरी ओर बह गया था। इसी प्रकार, जो व्यक्ति मन में विषय-वासना, मान-सम्मान, सुख-सुविधा की आकांक्षा रखते हुए ईश्वर की उपासना करता है, वह यदि जीवनभर भी नियमित रूप से साधना करता रहे तो भी अंत में यही देखता है कि उसकी सारी साधना उन विषय रूपी बिलों में से बाहर निकल गई है और वह जैसा का तैसा ही रह गया है। ईश्वर का ध्यान करते समय मन स्थिर क्यों नहीं होता? मक्खी कभी हलवाई की दुकान में रखी मिठाई पर बैठती है, पर इतने में अगर कोई मैले की टोकरी लेकर सड़क पर से गुजरे तो वह तुरंत मिठाई को छोड़ मैले पर जा बैठती है। परंतु मधुमक्खी सदा फूलों पर ही बैठती है, गंदी ...
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