प्रयागराज, अक्टूबर 6 -- प्रयागराज, संवाददाता। प्रीतमनगर स्थित कबीर आश्रम में चल रहे 48वें वार्षिक अधिवेशन व सत्संग समारोह के दूसरे दिन आश्रम के संत धर्मेंद्र ने कबीर वाणी 'माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर से सत्संग की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि मन की पवित्रता ही परमात्मा की सबसे बड़ी पूजा है। माला फेरने से या गंगा स्नान करने से मन के पाप नहीं धुलते हैं, अपितु अपने दोषों को त्यागने से मन गंगा जैसा निर्मल हो जाता है। गोपालगंज, बिहार से आए संत दिनेश ने कहा कि आदमी जन्मजात न हिंदू है न मुसलमान, दोनों संप्रदायों के मानवतावादी विचारों को ग्रहण कर हर तरह की कट्टरता से दूर रहना ही सच्चे राष्ट्र-निर्माण की निशानी है। छत्तीसगढ़ के अनूप जलोटा कहे जाने वाले भजन गायक गुरुशरण साहू ने कबीर साहेब के भजन 'नाम हरि का जप ले बंदे, फिर पीछे पछताएगा की आध्या...
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