कानपुर, नवम्बर 19 -- चिन्मय मिशन के मर्चेंट चैंबर हॉल में चल रहे गीता उत्सव में स्वामी अद्वैतानंद ने कहाकि भगवद्गीता पढ़ने से साधक को क्या करना और क्या नहीं करने का ज्ञान होता है। गीता भगवान कृष्ण व अर्जुन का संवाद है जिसमें दोनों आपस में प्रश्न करते व उत्तर के माध्यम से सत्य को जानते हैं । प्रश्न दो प्रकार के होते हैं एक सार्थक व दूसरा निरर्थक। अर्जुन ने भगवान कृष्ण से सार्थक प्रश्न अर्थात जो सबके हित में हो ऐसे प्रश्न किए गए। भगवान कृष्ण ने अर्जुन की विभिन्न मानसिक भ्रांतियों को दूर किया इसीलिए मनोविज्ञान का सबसे अच्छा ग्रंथ भगवद्गीता है। यहां स्वामी राघवानंद जी, ब्रह्मचारिणी भगवती चैतन्य, विनय सानन, अरुण गुप्त, ज्ञानेंद्र गुप्त, शैलेश सेतपाल आदि थे।

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