दरभंगा, अप्रैल 20 -- दरभंगा। रागतरंगिणी मध्यकालीन मिथिला के इतिहास के गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाता है। रागतरंगिणी यद्यपि संगीत शास्त्रीय ग्रंथ है, लेकिन प्रकारांतर से यह मध्यकालीन मिथिला की राजनीतिक स्थिति, उस कालखंड के प्रशंसकों की कलाप्रियता, आपसी प्रतिस्पर्धा समेत राजनीतिक शह-मात पर भी प्रकाश डालता है। रमेश्वर लता संस्कृत कॉलेज में रविवार को आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता डॉ. शंकर देव झा ने ये बातें कही। पोथीघर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में द्वादश व्याख्यानमाला अंतर्गत रागतरंगिणी : इतिहासक स्रोत विषयक षष्ठम व्याख्यान में डॉ. झा ने कल्हण की राजतरंगिणी एवं लोचन की रागतरंगिणी में मूलभूत अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि ओइनिवार राजवंश के पतन के बाद मुगल वंश द्वारा नियुक्त खंडवला वंश की चौधराई के समय किस प्रकार हिन्दू सत्ता की सुरक्षा के...