नई दिल्ली, जुलाई 15 -- ओपी रावत,पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जल्द ही पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने की चर्चा जोरों पर है। अगर ऐसी कुछ योजना है, तो इसका अवश्य स्वागत किया जाना चाहिए। आखिरकार पिछले देशव्यापी मतदाता गहन पुनरीक्षण के 22 साल बीत चुके हैं। हालांकि, इससे पहले बिहार में चल रहे इस कार्य के सबक आयोग को जरूर याद रखने चाहिए। बिहार का पुनरीक्षण अभियान इसलिए विवादों में घिर गया, क्योंकि इसे विधानसभा चुनाव के करीब आने पर आनन-फानन में शुरू किया गया है, जबकि यह कवायद पर्याप्त समय मांगती है। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण का कार्य साल 2003 मेें हुआ था, जबकि विधानसभा चुनाव 2005 में हुए थे। मतदाताओं को वक्त देने से होता यह है कि यदि किसी कारणवश किसी वोटर का नाम प्राथमिक सूची में नहीं आता, तो वह उचित व्यवस्था ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.