वाराणसी, मार्च 13 -- वाराणसी, अरविन्द मिश्र। जीवन में उमंग और सौहार्द्र की कामना से मनाए जानी वाली होली सम्पन्नता और समृद्धि का भी प्रतीक है। इसका लोक पक्ष मखाने, छुहारे और सूखी गरी के गोले से तैयार माला में दिखता है। होली की शाम खासतौर पर यह माला बच्चों को पहनाई जाती थी। वरिष्ठ सांस्कृतिक समीक्षक पं. अमिताभ भट्टाचार्य बताते हैं कि वैसे तो मखाने की माला बड़े-बूढ़े भी धारण करते हैं लेकिन बच्चों को विशेष रूप से इसलिए पहनाई जाती रही कि अभिभावक उनके सम्पन्न और समृद्ध भविष्य की कामना माला के जरिए बच्चों तक पहुंचाते हैं। इसके पीछे ज्योतिषीय आधार भी हैं। मखाना और छुहारा चंद्रमा का प्रतीक है। सूखा नारियल भगवान विष्णु के शंख के साथ ही मानवीय मस्तिष्क का प्रतीक है। हर अभिभावक बच्चे के सुखद भविष्य की कामना करते हुए उसके मन की दूनी शक्ति और मस्तिष्क ...
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