नई दिल्ली, सितम्बर 5 -- वैदिक ऋषियों ने चाहे विद्युत को अपने रथों में न जोता हो, न सूर्य और सितारों को तौला हो, न कत्लेआम और आधिपत्य जमाने में अपनी सहायता के लिए प्रकृति की विनाशकारी शक्तियों को भौतिक बनाया हो, किंतु उन्होंने हमारे भीतर के सभी स्वर्गों और भूतलों को नाप और थाह लिया था, उन्होंने मौत की पहेली को बूझ लिया था और अमरता के रहस्य को पा लिया था; उन्होंने उस एक (ईश्वर) का पता लगाना चाहा था और उसे खोज लिया था। वे उसे जान गए थे और उसके प्रकाश और पवित्रता, बुद्धिमत्ता और शक्ति की स्तुतियों में उसकी पूजा की थी। संपूर्ण ऋग्वेद अपने आप को गूढ़, गोपनीय और आध्यात्मिक सिद्धांत व व्यवहार के तत्व के रूप में प्रकट करता है, जैसा किसी भी प्राचीन देश में रहस्यवादियों द्वारा किया गया होता, पर जो वस्तुतः हमारे लिए केवल वेद में बच रहा है। वहां वह जा...